हरिद्वार। तीर्थ नगरी हरिद्वार के विकाश के लिए वर्ष 1986 में बने हरिद्वार विकास प्राधिकरण की स्थापना के समय ही यह बातें उठनी शुरू हो गई थी ।की यह विकास प्राधिकरण हरिद्वार के लिए विनाश प्राधिकरण साबित होगा और इसमें कोई दो राय नहीं है कि जब से इस विकास प्राधिकरण की स्थापना हुई है केवल और केवल भला हुआ है तो हरिद्वार विकास प्राधिकरण में पोस्टिंग पाने वाले कर्ण धारो का ही भला हुआ है इस विकास प्राधिकरण में इसके जन्म से लेकर आज तक कोई ऐसा अधिकारी नहीं आया जिसको यह कहा जा सके कि यह वास्तव में तीर्थ नगरी हरिद्वार के लिए कुछ करना चाहता है ।जो भी यहां आया वह केवल और केवल माल बटोरने के लिए आया। और निचले अधिकारियों की तो बात छोड़ दीजिए यहां मौजूद क्लर्क , जे ई , ऐ ई को हरिद्वार विकास प्राधिकरण से कितनी मोटी आमदनी है इसका खुद इन्हें भी अंदाजा नहीं है ।बाबू से लेकर वीसी हो या सचिव हो सब करोड़पति हैं । बाबू तो यहां से कहीं दूसरी जगह जाना ही नहीं चाहते हैं ।कई जे ई रिश्वत लेते हुए पकड़े भी जा चुके हैं लेकिन फिर भी जमे हुए यही है। यह वह संस्थान है जहां आप सही कार्य कराए तो और गलत काम कराए तो सुविधा शुल्क तो आपको देना ही पड़ेगा उसके बाद भी खाएंगे भी और गुर्र राएंगे भी है ना कमाल का संस्थान ।

हरिद्वार में अवैध निर्माण करने वालों ने यह एक नया तरीका खोज निकाला है यह फार्मूला भी प्राधिकरण के कारिंदों द्वारा ही इजाद किया गया है।अब बिल्डिंग बनाने के लिए बिल्डिंग को किसी की नजर ना लगे इसलिए हरे परदे टांगे जाते हैं और उसके पीछे आप क्या निर्माण कर रहे हैं किस तरीके से कर रहे हैं इसको कोई देख न ले किसी की नजर ना लग जाए इसलिए हरे परदे टांग दिए जाते हैं साथ ही अब उन हर पर्दों के बाहर यह भी लिखकर टांग दिया जाता है कि हरिद्वार विकास प्राधिकरण से स्वीकृत लेकिन जब हरिद्वार विकास प्राधिकरण से स्वीकृत है तो हरे परदे टांग कर निर्माण करने की क्या जरूरत है खुलकर निर्माण क्यों नहीं होता इसलिए कि भैया किसी की नजर लग जाए इसलिए पर्दे टांग के काम करते हैं ऐसे कुछ चंद लोग ही हैं जो इस तरीके के पर्दे टांग के काम करते हैं लेकिन जिनका बाकायदा नक्शा पास होता है उन्हें यह पर्दे टांगने की कोई आवश्यकता होती नहीं है ।

यह सारे नियम कानून भी हरिद्वार विकास प्राधिकरण के लोग ही ऐसे बिल्डिंग बनाने वाले को बताते हैं।प्राधिकरण के अपने ही नियमो की काट भी प्राधिकरण के पास ही होती है। आप नक्शा पास करा कर काम करेंगे तब भी आपको कायदे कानून समझा देंगे और अगर आप नक्शा पास कराए बिना काम करेंगे तब भी बिना नक्शा पास कराये या नक्शे के विपरीत निर्माण करने वाले की यदि किसी ने शिकायत कर दी तो दिखावे के लिए उसको नोटिस भेज दिया जाएगा सील की घुड़की दी जाएगी । लेकिन ना सील होगी न ही उसको नोटिस का कोई जवाब देने की जरूरत है ।

बस उसको प्राधिकरण के ही कारिंदे कोई ना कोई नया ऐसा फार्मूला बता देंगे जिससे बिल्डिंग बनाने वाला निर्भीक रूप से अपना काम निर्विघ्न रूप से चलाएं और बिल्डिंग बनकर तैयार हो जाय। लेकिन विकास प्राधिकरण के कारिन्दों को नाराज ना करें उनकी नाराजगी बिल्डिंग बनाने वाले को भारी पड़ सकती है चाहे वह उसका नक्शा सही है या नहीं । सही वाले को ज्यादा दिक्कत होगी गलत वाले को तो दिक्कत होने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता क्योंकी उसके तो आका हरिद्वार विकास प्राधिकरण में बैठे हैं जो उसको रोजाना हरिद्वार विकास प्राधिकरण के नियम की हर काट बताने के लिए तो तमाम जुगाड़ लगाकर प्राधिकरण में आये है।

